
मंहगी पढ़ाई के “देश” को कई लाभ हैं ( देश समझते हैं ना?)
1- स्क्रीनिंग: वंचित वर्ग को घुसने देने से रोकना है। भरे पेट के बच्चे आयेंगे तो क्रांतिकारी और कम्यूनिस्ट बनने के चांस कम होंगे। गरीब घरों के बच्चों मे समाजवादी विचारधारा की प्रवृत्ति नेचुरल होती हैं।
2- राजनीतिक: फीस का कर्ज चुकाने का दबाव रहेगा तो पैसे जुटाने का सोचेगा, सामाजिक होने का स्कोप नहीं होगा। कमजोर बहुजन समाज अच्छे राजनीतिक सामाजिक नेतृत्व से वंचित होगा।
3- ब्राह्मणवाद: ज्यादा चांस है कि शिक्षा और अवसर जनेऊ तक सिमटा रहेगा, वंचित जातियां कमजोर और गरीब बनी रहेगी। इससे समाज में ब्राह्मणवाद मजबूत और स्थाई होगा।
4- कंडिशनिंग: अपर मिडिल क्लास के जनेऊधारी बच्चे आयेंगे तो इन्हें ब्राह्मणवादी सत्ता के अनुरूप ढालना आसान होगा।
अगर आपको लगता है कि फीसवृद्धि आर्थिक फैसला है तो आप बहुत मासूम हैं।
हल एक ही है, “अलग ब्राह्मण प्रदेश” को मुद्दा बनाइए। सफल ना भी हुये तो भी ट्रेंड को कंट्रोल कर पायेंगे।
यशवीर